tag:blogger.com,1999:blog-6910674972459718294.post2337972299590147939..comments2023-11-08T05:40:58.099+05:30Comments on दिल की गहराइयों से : सविता मिश्रा 'अक्षजा'http://www.blogger.com/profile/16410119759163723925noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6910674972459718294.post-76542352949144851592014-10-06T18:15:31.948+05:302014-10-06T18:15:31.948+05:30ना कोख में पाला ना ही जन्म दिया ,
फिर भी कृष्णा त...ना कोख में पाला ना ही जन्म दिया ,<br /><br />फिर भी कृष्णा तुने यशोदा को माँ का मान दिया |<br /><br />हर नटखट शरारत को कर ,<br /><br />माँ यशोदा को तुने निढाल किया |<br /><br />चाँद खिलौना माँगा ,माखन नहीं खाया जताया ,<br /><br /> मिट्टी खा माँ को मुख मुख में ही सारा ब्रह्माण्ड दिखाया |<br /><br />गोपियों की मटकी फोड़ीं ,माखन की चोरी किया ,<br /><br />फिर भी भोला बन माँ की ओखली में भी बंध गया |<br /><br />वात्सल्यमयी माँ बना यशोदा को तुने तृप्त किया ,<br /><br />देवकी को ना जाने किस जन्म के पाप का फल दिया |<br /><br /> कोख में पाला जन्म तुझको उसने दिया ,<br /><br />फिर भी अपनी अठखेलियों से मरहूम किया |<br /><br />सारा-का-सारा प्यार तुने यशोदा को ही दिया ,<br /><br />देवकी तो बस तरसती रही कुढ़ती ही रही कन्हैया |<br /><br />कोख में पाला जन्म दिया जिसने तुझको कृष्णा ,<br /><br />वही तेरी बाल रूप के दरश को सदैव तरसती रही कन्हैया |<br /><br />||सविता मिश्रा ||सविता मिश्रा 'अक्षजा'https://www.blogger.com/profile/16410119759163723925noreply@blogger.com