Saturday, 15 February 2014

'''सच और झूठ '''

झूठ मनभावन होता है
सच पावन होता है
झूठ पानी का बुल्ला होता है
सच दूध का धुला होता है
थोड़ी ही देर सही झूठ
तन मन पुलकित करता है

सच पहले ही पारी में
 जमीं पर पटक देता है
झूठ मुस्कराता हुआ बुलाता है
सच मुहं बिचकाए ही रहता है
मुस्कराहट सदा भाती है
गंभीरता से दुनिया दूर भागती है
इसी लिए झूठ अक्सर लुभाता है
सच बहुत पीछे छूट जाता है|.
.सविता

4 comments:

दिगम्बर नासवा said...

पीछे छूटते हुए भी सच सकून देता है ... शान्ति देता है ... लंबा चलता है ...

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

digambar bhaiya नमस्ते .....बिलकुल सही कहें आप लिखना चाहिए था यह भी ....देखते है यदि दो लाइन और जोड़ सके तो ..शुक्रिया भैया

संजय भास्‍कर said...

बहुत शानदार

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

dhanyvaad aapka sanjay bhai