Friday 20 April 2018

कथा है !

"इस विषय पर कितनी कोशिश की मैंने, लेकिन लिख नहीं पा रही हूँ। यह कथा भी झन्नाटेदार लघुकथा नहीं बन पा रही है!" अपनी सखी को कथा सुनाकर रूबी बोली। "अरे क्यों! कितना अच्छा तो लिखी हो रूबी। हमें तो तुम्हारी लेखनी में जादू-सा अहसास होता है। बहुत दमदार लिखती हो तुम।" "वरिष्ठजन कभी कहते हैं कि कथा का कथ्य कमजोर है! तो कभी कहते हैं कि शिल्प अच्छा नहीं है। कई तो हमारी भाषा पर ही ऊँगली उठा देंते हैं।" "मत सुन किसी की तू! आपस में ही सब एकमत नहीं हैं। तू दिल से लिख, दूसरों के दिल तक जरुर पहुँचेगी।" दोनों पार्क में पड़ी बेंच पर बैठकर चर्चा कर ही रही थीं कि तभी बगल में बैठे बुजुर्ग ने कहा, "अच्छा विषय चुना है! कोशिश करती रहो।" कहकर पार्क के एक कोने में पत्थर के नीचे से नन्हें पौध को निकलते देखकर वह मुस्करा रहे थे कि रूबी ने पूछा- "मैं ऐसा क्या करूँ कि अपने अच्छे विषय को बढ़िया कथा में ढाल सकूँ अंकल जी?" "कुछ नहीं बेटा! बस एक चुनौती की तरह लो फिर देखो कमाल। झन्नाटेदार कथा लिखने की कोशिश के बजाय, अपने दिल पर झन्नाटेदार थप्पड़ महसूस करो।" 24 August 2015 सविता मिश्रा ‘अक्षजा' ९४११४१८६२१ आगरा 2012.savita.mishra@gmail.com