Wednesday 3 December 2014

~इतना सारी समस्याएं लड़ें तो लड़ें कैसे ~

अदना सा आदमी कितनों से लड़ता फिरे | अपने विचारों से, परम्पराओं से, नियमों से, कानून से, विसंगतियों से, संगतियो से भी, अव्योस्थाओं से, झूठे आरोपों से, तकियानुसी विचार धाराओं से, एक अजीब ही ढर्रे पर चलती नियमों से, जो बदलना ही नहीं चाहती,सरकार से, भ्रष्टाचार से, महंगाई से, जिन्दगी से, मौत से भी, और तो और इन आकाश में घूमते पर अपने ही आसपास चालों की बिसात बिछातें इन ग्रह नक्षत्रों से ....|एक मामूली सा कमजोर आदमी और इतना सारी समस्याएं लड़ें तो लड़ें कैसे .....?

सब से यदि लड़ भी ले तो आखिर प्रारब्ध और उस अदृश्य शक्ति से कैसे लड़ें ...?
कभी कभी लगता हैं हार कर बैठ जाएँ एक कोने में, और सब कुछ उसके मर्जी पर छोड़ दिया जाएँ| सविता .............

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

ये लड़ना भी तो उसी की मर्जी से है ... और बैठना भी उसी की मर्जी से ...

कविता रावत said...

ये सब समस्याएं हम इंसानों ने ही तो पैदा की हैं ...