Saturday 31 October 2015

करवाचौथ का विहान मुबारक ..:)

कल सब अपने-अपने ही चाँद को देख खुश थे | हम भी खुश और मनन कर रहें थे कि दुनिया ऐसे ही खुबसुरत हो तो कितनी अच्छी लगे|और तो और पवित्रता अपने देश में वाश करने लगे फिर से चहुँओर | मुस्करा ही रहें थे तभी एक महोदय पास आ बोले , क्यों मुस्करा रहीं हैं अकेले-अकेले ? हमारा उत्तर सुन ठठा पड़े | बोले अरे तरह तरह के चांदो की नुमाइश तो रोज करता हूँ | कम से कम एक दिन तो अपने चाँद को देखूं न और परखू भी कि कहीं दूजा चकोर उस पर ग्रहण तो न डाल रहा |

करवाचौथ का विहान मुबारक ..:)

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