कल सब अपने-अपने ही चाँद को देख खुश थे | हम भी खुश और मनन कर रहें थे कि
दुनिया ऐसे ही खुबसुरत हो तो कितनी अच्छी लगे|और तो और पवित्रता अपने देश
में वाश करने लगे फिर से चहुँओर | मुस्करा ही रहें थे तभी एक महोदय पास आ
बोले , क्यों मुस्करा रहीं हैं अकेले-अकेले ? हमारा उत्तर सुन ठठा पड़े |
बोले अरे तरह तरह के चांदो की नुमाइश तो रोज करता हूँ | कम से कम एक दिन तो
अपने चाँद को देखूं न और परखू भी कि कहीं दूजा चकोर उस पर ग्रहण तो न डाल
रहा |
करवाचौथ का विहान मुबारक ..:)
करवाचौथ का विहान मुबारक ..:)
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