किसी के दिल को छू जाए ऐसा कोई भाव लिखने की चाहत ..कोई कवियत्री नहीं हैं हम | अपने भावों को शब्दों का अमलीजामा पहनाते हैं बस .:)
Monday, 28 January 2013
दूसरो ने जो रुलाया वह क्या कम था
अपनों ने भी हमकों रोता बिलखता छोड़ा
आंसुओं को करती इक्कठा जो सविता
नदियाँ भी समझती हमें अपने रास्तें का रोड़ा |..सविता मिश्रा
1 comment:
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ...कोमल अभिव्यक्ति...
अनु
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