शीशे में अपने आप को निहारते हुए खुद को ही धित्कार बैठे वह |
" अरे , मैं रोज शेव करके नहा-धो तैयार हो जाता था | ये रिटायर होते ही क्या हो गया मुझे |
बूढ़ा समझ सरकार ने भले रिटायर किया पर अभी तो मैं जवान दिख रहा हूँ | dig बन न सही पर समाज सेवी बन तो समाज की सेवा कर ही सकता हूँ | "--
विचार आते ही वो पहले के जैसे ही फुर्ती से तैयार होने लगे |
सविता मिश्रा
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