Wednesday, 15 November 2017

चाल -

"मम्मी, स्कूल में बुद्धू कहकर सब चिढ़ाते हैं। मुझे स्कूल नहीं जाना |"
"सुन एक कहानी सुनाती हूँ!"
"सुनाओ, सुनाओ। बहुत दिनों से आपने कहानी नहीं सुनाई।" किताब परे रख खुश होकर बोली |
" बाग के एक पेड़ पर ताकतवर गिद्ध पंक्तिबद्ध होकर विराजमान थे। बाग में जब-जब कमजोर पक्षी धूलधूसरित हो अपनी हिम्मत बटोरते तब-तब गिद्धों के खेमे में अट्टाहास गूँजता था। घमण्ड की चादर ओढ़े गिद्ध अक्सर छोटी चिड़ी की हँसी उड़ाते रहते थे। इधर उसका लड़खड़ाना हुआ नहीं कि उधर वरिष्ठ गिद्धों के कतार से आवाज आती, "ऐ चिड़ी, तू रहने दे।"

लेकिन वह नन्ही चिड़ी अपने पंख समेट पूरी हिम्मत से फिर कोशिश में लग जाती। दूर -दूर तक पंख फड़फड़ाती हुई उड़कर सब को कभी- कभी चकित कर देती। लेकिन उसकी उड़ान से आहत हो किसी गिद्ध ने उसे घायल कर दिया था।"
"यह कैसी कहानी सुना रही हैं आप!" बेटी ने मुंह बनाते हुए कहा।
"ध्यान से सुन, तभी समझ आएगी" कहते हुए वह आगे बोली..."वह चिड़ी जैसे ही जमीन पर गिरी, अभी-अभी वरिष्ठ गिद्धों में शामिल हुए एक गिद्ध ने उसे उठाकर अपने डैने में छुपा लिया। उसने महसूस किया कि अब वह सुरक्षित है। आत्मीयता और गिद्ध का सानिध्य पाकर वह एक दिन गिद्ध सी ताकतवर हो जाएगी। लेकिन कुछ समय बाद ही वह अकेली जमीन पर पड़ी अपने लहुलूहान पंख सहला रही थी।"
कहते-कहते माँ अचानक रुक गयी |
"क्या फिर वह उड़ पाई! उस गिद्ध ने ऐसा क्यों किया? बेटी ने सवाल किया |
"वह चाहता था कि वह वरिष्ठों के कतार में सम्मान पाए। जिसके कारण सब की मदद करता रहता था । 'कमजोर जब कमजोर बने रहेंगे तभी तो कोई वरिष्ठ बन पाएगा '। जिस दिन उसने वरिष्ठ होने का यह राज जाना उसी दिन उस चिड़ी को धक्का दे दिया |"
"जटायु भी तो गिद्ध थे, उन्होंने तो सीता माता की मदद की थी न। फिर उस गिद्ध ने धोखा..!" आश्चर्य से बेटी ने पुनः प्रश्न किया।
"हर गिद्ध जटायु-सा नहीं होता है।"
"हम्म! तो वह चिड़ी फिर नहीं उड़ पाएगी?"
"उड़ेगी, बस अपनी गलती से यदि वह सबक लेगी । किसी जटायु की खोज करने के बजाय अपने आप को मजबूत करेगी तब।" मुस्करतें हुए उसके माथे को सहलाती हुई बोली।
सुनकर बिटिया के आँखो से नींद गायब हो गयी। वह किताब लेकर पढ़ने बैठ गयी।

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