Wednesday 8 August 2018

दृष्टि महिला लघुकथा-विशेषांक

दृष्टि पत्रिका  को पढ़ते हुए अपनी दृष्टि...😊


सब नामों में जी-जी लगाकर हमारे मत को पढ़ना
हमें उदंड, असंस्कारी कहकर कोई नाराज मत होना । ------

बलराम मेहनत करके किए एक असाधारण खगोलीय खोज
 कोने-कोने से खोज लिए महिलाओं की एक लंबी-सी फौज ।

 मार्टिन जान ने चार - चांद का कराया हमें दृष्टि-भान
उनके रेखा-चित्रों ने  नव-दृष्टि का दिया हमको वरदान।

 माधव नागदा ने हमारी कमी को लिया जैसे ताड़
 हमने भाषा का इंद्रधनुष पढ़ा कई-कई बार ठाढ़।

 लता के प्रश्नोत्तरी तो अब हमें बड़ा ही लुभाते हैं
शकुंतला के जवाब हमारा पथ-प्रदर्शन करवाते हैं ।

 अशोक भाटिया ने जिस-जिस लघुकथाओं का किया जिक्र
उन्हें पढ़ने के लिए हमने किया यत्र-तत्र ही अथक परिश्रम ।

 दो-चार भी न मिली कहीं पर वो लघुकथाएं हमको
 अशोक वाटिका में भटक दृष्टि में हम पुनः अटको।

 दृष्टि ने महिलाओं के भावनाओं की सच्ची-सुंदर-प्यारी कश्तियां बनाई
अशोक-कांता ने महिला विशेषांक के समुंदर में उन्हें बड़े करीने से तैराई।

दृष्टि महिला-विशेषांक की  लघुकथाओं का किया जो हमने मनन
 लगा घर-गृहस्थी की दहलीज भीतर कर रहीं हों वो अभी बतकुचन।

लघुकथाओं का सार जो भी निकले बस निकलता ही रहें
दृष्टि लघुकथा का विशेषांक यूँ ही सदा फलता-फूलता रहें। 😊😊

आभार शुक्रिया
 सविता मिश्रा 'अक्षजा'
 

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