किसी के दिल को छू जाए ऐसा कोई भाव लिखने की चाहत ..कोई कवियत्री नहीं हैं हम | अपने भावों को शब्दों का अमलीजामा पहनाते हैं बस .:)
Monday, 22 August 2022
कहावत
Sunday, 22 May 2022
पहली समीक्षा😊 मुकेश तिवारी
101, यह आंकड़ा शुभ और शगुन का होता है। इतनी ही लघुकथाओं से सजा एक संग्रह निकला है। इसका शीर्षक दिया गया है - #रोशनी_के_अंकुर।
समीक्षक – श्री उमेश महादोषी, लघुकथाकार
सविता मिश्रा ‘अक्षजा’ का लघुकथा संग्रह : ‘रौशनी के अंकुर’
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प्रतिक्रिया- ज्योत्स्ना कपिल
Savita Mishra उन चर्चित रचनाकारों में से हैं जो प्रत्येक विधा में प्रयास करते हैं और उसमें अपनी चमक भी दिखाते हैं। फिर चाहे वह लघुकथा हो, कहानी हो, व्यंग्य हो, समीक्षा हो अथवा बाल साहित्य। हर जगह वह प्रयत्नशील एवम संभावनाशील नज़र आयी हैं। पिछले दिनों आया उनका लघुकथा संग्रह ' रोशनी के अंकुर ' पर्याप्त चर्चा में रह है। यह संग्रह आगरा के निखिल पब्लिशर्स एवं डिस्ट्रीब्यूटर के द्वारा प्रकाशित किया गया है। इसमें उनकी 101 लघुकथाएं संग्रहित हैं। सविता जी ने अनुमानतः 2014 से लघुकथा लेखन प्रारम्भ किया है और उनका कहना है कि साढ़े तीन सौ अधिक लघुकथाएं लिख चुकी हैं।
सार गर्भित टिप्पणी - व्यंग्यकार , अरविन्द तिवारी “#रोशनी_के_अंकुर”
सविता मिश्रा अक्षजा का यह लघुकथा संग्रह "रोशनी के अंकुर"कई माह पूर्व डाक से मिला था,लेकिन लॉक डॉउन में किताबों के बीच गुम हो गया।सविता मिश्रा के बार बार पूछने पर मैं कह देता था , मिला ही नहीं।किताबों को कई तरह से हम रखते हैं।नई आई किताबें और पत्रिकाएं ऊपर लॉबी में पड़े तख्त पर रखी जाती हैं।इनमें से जिन पुस्तकों को अच्छी तरह देख या पढ़ लेता हूं, वे अंदर कमरे में नई पुस्तकों की रैक में स्थान पाती हैं। कोई पुस्तक गुम होने पर लगभग पांच सौ पुस्तकों को उलटना श्रमसाध्य कार्य होता है।खैर यह किताब मिल गई।इसमें 101 लघुकथाएं हैं।कुछ मैंने पढ़ी हैं।पढ़ी गई में से कुछ बहुत अच्छी लगीं।बाकी विस्तार से लिखना अभी संभव नहीं है।
वंदना गुप्ता- समीक्षा- “#रोशनी_के_अंकुर”
नए कलेंडर के साथ यदि आपके किताब की समीक्षा भी मिल जाय तो खुश होना लाज़मी हो जाता है। शुरुआत अच्छी हुई है उम्मीद है ये साल पिछले साल से बेहतर बीतेगा और समीक्षा लिखने वाले भी जागकर हमें जागरूक करेंगे


समीक्षा- “#रोशनी_के_अंकुर” Bibhuti B Jha झा
समीक्षा- “#रोशनी_के_अंकुर”- लघुकथा- श्रीमती सविता मिश्रा ‘अक्षजा’
मेरी दृष्टि में -- रोशनी के अंकुर ( लघुकथा संग्रह )
















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चर्चाकार : अनिल शूर आज़ाद
सरल-सहज तथा अनावश्यक बौद्धिकता से मुक्त लघुकथाएं
समीक्षक -राजीव तनेजा
मेरी 'रोशनी के अंकुर'






समीक्षक - गीतकार, रमा वर्मा श्याम
साहित्य साधिका समिति की संस्थापिका/ Rama Verma Shyam दीदी द्वारा लिखी ‘रोशनी के अंकुर’ लघुकथा संग्रह पर उनका अपना दृष्टिकोण।
समीक्षक अशोक अश्रु
वरिष्ठों का आशीष मिलता रहे यूँ ही और क्या चाहिए





*रिश्तों की सच्चाई को संवेदना के स्तर पर उधेड़ती सशक्त लघुकथाएं* समीक्षा
2 वर्ष के बाद पुनः #लघुकथा संग्रह- '#रोशनी_के_अंकुर' की समीक्षा के साथ

