सच्चाई ही मेरा अस्त्र है,
इसे छोड़ सकते नहीं |
मुहं पर राम छुरी बगल में
रख चल सकते नहीं|
नकाब फरेब का चेहरे पर,
चढ़ा हम सकते नहीं|
आगे बढ़ने एवं प्यार पाने की होड़ में,
दामन झूठ का पकड़ सकते नहीं |
बना कर तिल का ताड़,
हम पेश कर सकते नहीं|
नमक मिर्च लगाकर बातो में,
दूसरों के आगे हम रख सकते नहीं|
खबरो को सुना चटखारे ले ले
मजा यूँ हम ले सकते नहीं|
एक अहसान करके चार गा सकते नहीं,
शायद इसी लिए 'बदनाम' है पर 'बद' हम नहीं |...सविता मिश्रा
इसे छोड़ सकते नहीं |
मुहं पर राम छुरी बगल में
रख चल सकते नहीं|
नकाब फरेब का चेहरे पर,
चढ़ा हम सकते नहीं|
आगे बढ़ने एवं प्यार पाने की होड़ में,
दामन झूठ का पकड़ सकते नहीं |
बना कर तिल का ताड़,
हम पेश कर सकते नहीं|
नमक मिर्च लगाकर बातो में,
दूसरों के आगे हम रख सकते नहीं|
खबरो को सुना चटखारे ले ले
मजा यूँ हम ले सकते नहीं|
एक अहसान करके चार गा सकते नहीं,
शायद इसी लिए 'बदनाम' है पर 'बद' हम नहीं |...सविता मिश्रा
7 comments:
फिर तो आज की दुनिया मेन रहने लायक नहीं ... बिना इस सबके कैसे जिएंगे ?
आपकी ईमानदारी को कहती सुंदर रचना
fir aap neta ban sakate nahi.
hhhhhhhhh ...dhanyvaad
jeene ke liye karani hogi mashkkat
rakh lo meri hardik shubhkamnayen
विभा दी सादर आभार आपका
सुशील भैया सादर नमस्ते ...बहुत बहुत शुक्रिया
सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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