Wednesday 3 April 2013

+++कर नहीं सकते +++

सच्चाई ही मेरा अस्त्र है,
इसे छोड़ सकते नहीं |
मुहं पर राम छुरी बगल में
रख चल सकते नहीं|
नकाब फरेब का चेहरे पर,
चढ़ा हम सकते नहीं|
आगे बढ़ने एवं प्यार पाने की होड़ में,
दामन झूठ का पकड़ सकते नहीं |
बना कर तिल का ताड़,
हम पेश कर सकते नहीं|
नमक मिर्च लगाकर बातो में,
 दूसरों के आगे
हम रख सकते नहीं|
खबरो को
सुना चटखारे ले ले
मजा यूँ हम ले सकते नहीं|
एक अहसान करके चार गा सकते नहीं,
शायद इसी लिए 'बदनाम' है  पर 'बद'
हम नहीं |...सविता मिश्रा

7 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

फिर तो आज की दुनिया मेन रहने लायक नहीं ... बिना इस सबके कैसे जिएंगे ?

आपकी ईमानदारी को कहती सुंदर रचना

Unknown said...

fir aap neta ban sakate nahi.

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

hhhhhhhhh ...dhanyvaad

विभा रानी श्रीवास्तव said...

jeene ke liye karani hogi mashkkat
rakh lo meri hardik shubhkamnayen

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

विभा दी सादर आभार आपका

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

सुशील भैया सादर नमस्ते ...बहुत बहुत शुक्रिया

Unknown said...

सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.