दर-बदर भटक-भटककर
चुनावों में
वोट की भीख मांग रहे हैं नेता
एसी में बैठे आराम फरमा रहे थे अभी तक
अब देखो कितना पसीना बहा रहे हैं ये नेता |
चिल्ला-चिल्ला के गले की
आवाज बैठा रहे हैं ये नेता
हुलिया अपने शरीर की
देखो बिगाड़ रहे हैं ये नेता
घर-घर और गली-मुहल्लों के
चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं ये नेता
आज जरुरत हुई महसूस इन्हें हमारी तो
हमको सिर अपने बैठा रहे हैं ये नेता |
हर व्यक्ती के दर पर जा-जाकर
खूब बहला-फुसला रहे हैं ये नेता
मालूम है हमको कि क्यों इन दिनों
खूब मेहनत कर रहे हैं ये नेता
चार-दिन मेहनत के बाद ही तो
सुख-चैन से रहेंगे पांच साल ये नेता |
खून पसीना इन दिनों जो बहा रहे हैं
पांच साल हमारा ही खून पियेंगे ये नेता
देंगे रोजगार अभी जो कहके लुभा रहे हैं
बाद में लिप्त रहेंगे करते हुए भ्रष्टाचार ये नेता |
जानते भी ना थे अब तक ये हमें
अब हमको अपना बता रहे हैं ये नेता
देंगे दो जून की रोटी एवं मुफ्त शिक्षा
यह कह-कहकर हम गरीबों को
सब्जबाग दिखा रहे हैं ये नेता |
वोट की राजनीति देखो हुई कितनी घटिया
एक दुसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं ये नेता
वोट के लिये अपनी बहू-बेटी से भी
वोट की भीख मंगवा रहे है ये नेता |
स्वयं जहाँ चुनाव-टिकट नहीं मिला
वहाँ परिवारवाद चला रहे हैं ये नेता
लूटमार करी इन्होंने खूब अब तक तो
अब स्वयं को पाक-साफ़ बता रहे हैं ये नेता |
खूब परेशान किया इन्होंने बात-बेबात ही हमको
अब स्वयं को हमारा हितैषी बता रहे हैं ये नेता |
काँटों पर चल रहे थे अब तक हम
अब हमारे रास्ते में फूल बिछा रहे हैं ये नेता
भूखे पेट सो जाते थे गाहे-बगाहे ही तो हम
अब हमें अपने हाथों से रोटी खिला रहे हैं ये नेता |
दिखती ना थी शक्ल भी जिनकी कभी हमको
अब आकर हमसे हाथ मिला रहे हैं ये नेता
हेय दृष्टि से देखते थे ये हमको कभी तो
अब हमें अपना भगवान बता रहे हैं ये नेता |
चुनाव जब तक नहीं होते तब तक
हमें सिर-आँखों पर बैठा रहे हैं ये नेता
देखना चुनाव खत्म होते ही हमको
अपने हाल पर छोड़ देंगे ये नेता |
देखने में भले ही लग रहे हैं आज इंसान सरीखे
लेकिन गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं ये नेता || सविता मिश्रा
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4 comments:
सही बात :)
सुशील भैया सादर नमस्ते ...हृदयतल से शुक्रिया आपका
सही और सामयिक ....
shoonya akankshi chachaji saadr namste ....dil se abhar
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