Wednesday 24 September 2014

~प्यास~(लघुकथा)

फुसफुसाने की आवाज सुन काजल जैसे ही पास पहुँची सुना कि -तुम आ गये न, मैं जानती थी तुम जरुर आओगें, सब झूठ बोलते थे, तुम नहीं आ सकते अब कभी|
"भाभी आप किससे बात कर रही हैं कोई नहीं हैं यहाँ"
"अरे देखो ये हैं ना खड़े, जाओ पानी ले आओ अपने भैया के लिय बहुत प्यासे है|"
डरी सी अम्मा-अम्मा करते ननद के जाते ही भाभी गर्व से मुस्करा दी| .........सविता मिश्रा

3 comments:

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

बहुत बहुत आभार सुशील भैया आपका ....आपकी उपस्थिति हमे हमे संबल प्रदान करती है यूँ ही मार्गदर्शन करते रहे~~~

दिगम्बर नासवा said...

कुटिल चालें ... अच्छी लघु कहानी ...

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

बहुत बहुत आभार दिगम्बर भैया आपका ....आपकी उपस्थिति हमे हमे संबल प्रदान करती है यूँ ही मार्गदर्शन करते रहे~~सादर नमस्ते