Sunday, 29 September 2013

वक्त की सीख -

आज वक्त है शहनाई का
शहनाई बजा लीजिये |

आज वक्त है विदाई का
आँसू बहा लीजिये |

आज वक्त है जीने का
आशीर्वाद दीजिए |

आज वक्त है खुशी का
आप भी शामिल हो लीजिये |

आज वक्त है लड़ाई का
कफ़न बांध लीजिये |

 आज वक्त है अंतिम सफर का
थोड़ा कंधा तो दीजिए |

आज वक्त है दुःख का
थोड़ा सा बाँट लीजिये |

आज वक्त है तुम्हारा
तो हमें ना भूलिए |

आज वक्त है बदल रहा
भरोसा ना कीजिये |

 वक्त की धूप-छाँव में
हमें ना तौलिए |

वक्त ही है बलवान
स्वयं पर गुमान ना कीजिये |

आज है तुम्हारा तो
कल होगा हमारा |

यही है वक्त की तकरार
मान लीजिये ||
--००--
||सविता मिश्रा 'अक्षजा'||
२०/११/८९

5 comments:

Anonymous said...

प्रेरक बेहतरीन कृति

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति..

शिव राज शर्मा said...

बहुत सार्थक रचना

शिव राज शर्मा said...

बहुत सार्थक रचना

nayee dunia said...

haan ji savita ji ...yah samy ki hi to baat hoti hai ...
bahut sundar likha