Monday 3 March 2014

कवियों के लिए-

सभी बड्डे बड्डे कवियों के लिए इस नाचीज की तरफ से श्रधा सुमन, सादर नमन के साथ .............:)


पढ़ने को मिलते रहें, आप सब जैसे कवि महान
हम जैसे फिर क्यों न बने, इस महफ़िल की जान | सविता  मिश्रा 'अक्षजा'

श्रोताओं से होता है, वक्ताओं का मान
लेखनी की, पाठक ही तो बढाता है शान | सविता मिश्रा 'अक्षजा'

6 comments:

दिगम्बर नासवा said...

सच है अगर पाठक नहीं तो लेखन का मज़ा कम हो जाता है ... अच्छा और सत्य लिखा है ...

सुशील कुमार जोशी said...

छोटे छोटे भी हैं
कुछ यहाँ हम जैसे
उनका भी ले लो
कभी तो कुछ नाम :)

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

digmbar भैया बहुत बहुत आभार ...नमस्ते

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

सुशील भैया नमस्ते ..हमारे जैसे के लिए तो आप भी किसी बड़े कवि से कम नहीं ....आभार आपका दिल से

Anonymous said...

लेखनी की, पाठक ही तो बढाता है शान|

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

dhanyvaad rakesh bhai