तृष्णा जागती
धन छोड़ ज्ञान में
बनता नेक |
धन छोड़ ज्ञान में
बनता नेक |
वर्षा की कमी
कंक्रीट का शहर
प्यासे है खग |
कंक्रीट का शहर
प्यासे है खग |
खग कल्पते
भटकते अटारी
जल विहीन |
भटकते अटारी
जल विहीन |
बगैर जल
कपोल कल्पित है
जीवन जीना |
कपोल कल्पित है
जीवन जीना |
तृष्णा मिलन
दूर बैठे सनम
प्यार बढ़ता |
दूर बैठे सनम
प्यार बढ़ता |
तृष्णा जागती
प्यास कब बुझती
अथाह चाह |.
प्यास कब बुझती
अथाह चाह |.
.सविता मिश्रा 'अक्षजा'
13 comments:
वाह ... लाजवाब हैं सभी हाइकू ...
दिगम्बर भैया नमस्ते ........बहुत बहुत शुक्रिया आपका ....कोई कमी भी लगे तो निसंकोच बताया करिए ....क्योकि शाबासी के साथ समालोचना भी तो जरुरी है ..वर्ना सब सही ही मानने का भ्रम हो जायेगा
बहुत सुंदर !
सुशील भैया शुक्रिया दिल से
बेहतरीन अभिव्यक्ति ! सुंदर हाईकू !
sadhana sis shukriya apka bahut bahut
बहुत सुन्दर हाइकु..
कैलाश भैया सादर आभार आपका ..__/\__
''............
बगैर जल
कपोल कल्पित हैं
जीवन जीना .....''
बहुत सुन्दर .......प्रत्येक शब्द दिल की गहराइओं को छूते हैं ....आपको बधाई !
शानदार हाइकू
सुरेश भैया सादर नमस्ते .......बहुत बहुत शुक्रिया आपका
प्रतिभा sis शुक्रिया दिल से
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