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काश हमने जो वोट दिए वो वापस हो सकते,
तो हम उसे वापस ले सरकार को पायदान पर लाते|
हमारे से ही लेकर हमें नीचा दिखाते हैं,
कुछ बोलो तो हम पर ही गुर्राते हैं|
धक्के मार बाहर का रास्ता समझाते हैं,
उनके चमचे भी अब पहलवान हो गये हैं|
नाशापिटो के मुहं में गज भर लम्बी जुबान हो गयी हैं,
नेता के खास होते ही इंसानियत तो जैसे लहुलुहान हो गयी हैं|
काश हम अपना दिया वोट वापस मांग सकतें .........
सब तरफ है त्राहिमाम त्राहिमाम सा चीखता ,
छत्तीस के आंकड़े में ही उलझता गया इंसान|
कहीं मंहगाई कहीं तस्करी होती है बेधड़क,
गुर्गे गुंडागर्दी करते हर तरफ बेखटक|
सब जगह तो नाचते मिल ही जाते हैं इनके ही गुर्गें,
जिसे भी पाते है सीधा साधा बना जाते हैं देखो मुर्गें|
जिसे देखो उसे ही ये अपना शिकार बना जाते,
जहाँ तहां ये बेखौफ देखो उत्पात मचा जाते|
जो बच निकले नजर से वह बड़ा खुशनसीब हैं बन्दा,
राजनीती का दलदल सच में बहुत ही हैं गन्दा|
काश हम अपना दिया वोट वापस मांग सकते ..........सविता मिश्रा
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