Thursday, 10 October 2013

'''गम का बाजार'''

परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनी कि,
हमारें अश्रु मोती बन बहे |
हुई जटिल समस्या कि ,
अब रोके ना रुकें |
गम के इस बाजार में ,
गम ही हमको मिले |
|| सविता मिश्रा ||

आईना
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आईना को जब हमने
आईना दिखाना चाहा तो
आईना भी शर्मसार हो गया
आईने के सामने से हट गया |
आईना कों जब हमने उसके
उसूलों को समझाया तो
वह कुपित होकर
चकनाचूर हो गया |
||सविता मिश्रा ||

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