Saturday 8 March 2014

हद कर दी

1. वाह भगवान् अब हद कर दी
बनाये शैतान या रब हद कर दी।

2..मरीज हुए हैरान परेशान
तेरी कटी रात पब हद कर दी|

3..आंसुओ से भी तू ना पिघला
पत्थर दिल तूने अब हद कर दी|

4..चीखते चिल्लाते रहे मरीज
दर्द समझोगे कब हद कर दी|

5...दर्द सह नहीं पायेगे ज्यादा
मर ही जायेगे सब हद कर दी|

6..उठाते मज़बूरी का फायदा
भुनाये जख्म तब हद कर दी|

7. मौत से हुए जो रू-ब-रू लोग,
चीख़ उठे सारे लब हद कर दी।

8. तड़पता देख कह उठी 'सविता'
ज़िन्दगी तूने तो अब हद कर दी। ....सविता मिश्रा

17 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

हद है हद कर दी !

Unknown said...


बहुत खूबसूरत

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

सुशील भैया नमस्ते ............आभार

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

अभिषेक भाई शुक्रिया आपका

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... पत्थर दिल ने हद तो कर ही दी ...
अर्थपूर्ण सभी शेर ..

विभा रानी श्रीवास्तव said...

बहुत अच्छी रचना
हद कर दी बहन

Suresh Mishra (सुरेश मिश्र) said...

अति सुन्दर ............. 'बस चीत्कार उठे लब हद कर दी' ......आपकी रचना में एक सच्चे मानव का दर्द झलकता है

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

digmbar bhaiya bahut bahut shukriya aapka ...namste

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

विभा दी नमस्ते .....बहुत बहुत शुक्रिया ...ज्यादा हद तो नहीं की न :P

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

सुरेश भैया नमस्ते .....बहुत बहुत शुक्रिया .....आपका ब्लॉग भी है बढ़िया

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

सुरेश भैया नमस्ते .....बहुत बहुत शुक्रिया .....आपका ब्लॉग भी है बढ़िया

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन अभिवयक्ति.....बहुत ही अर्थपूर्ण

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर...

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

संजय भाई आभार आपका

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

कैलाश भैया नमस्ते .....दिल से शुक्रिया

Satish Saxena said...

वाह ,
अनूठापन है रचना में ! बधाई आपको !

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

satish bhaiya abhar dil se ..namste