‘सपने बुनते हुए' साझा-लघुकथा-संग्रह-ललिता अग्रवाल स्मृति संस्थान, कोटकपूरा |
सम्पादक द्वय-- श्री श्याम सुंदर जी और श्री बलराम अग्रवाल
विमोचन- दिनांक 29 /१०/ 2017 को 26वें अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन पंचकूला में |
सम्पादक द्वय-- श्री श्याम सुंदर जी और श्री बलराम अग्रवाल
विमोचन- दिनांक 29 /१०/ 2017 को 26वें अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन पंचकूला में |
२०१७ में प्रकाशित तीन लघुकथाएँ --
१--रीढ़ की हड्डी
२--कागज का टुकड़ा
३--मीठा जहर
--००---जब Shyam Sunder Aggarwalअंकल द्वारा जैसे ही हमें ईमेल प्राप्त हुआ था वैसे ही, उसी क्षण हम तो तभी खुशी से फूले नहीं समाए थे। तीन कथाओं के साथ एक तिनका हम भी बुनते हुए इस लघुकथा संकलन ‘सपने बुनते हुए' में२--कागज का टुकड़ा
३--मीठा जहर



मेल कब कैसे, कहाँ देखकर भेजे थे, कुछ याद ही नहीं था हमें | जैसे ही ईमेल मिला तो खोजे की कब भेजे थे आखिर यह ईमेल। फिर दुबारा मेल खोलकर देखने में उतनी ही खुशी हुई, जितनी किसी बच्चे को उसकी पसन्दीदा चीज मिलने पर होती है।
अब और खुशी हो रही इस संग्रह में 'स' नाम की अधिकता को देखकर


दूसरे इतना खूबसूरत कवर पेज आंखों को ठंडक देता हुआ। मन को सुकून देता हुआ संग्रह का नाम ‘सपने बुनते हुए', सच भी तो है ..सपने बुनते हुए ही तो बुन डाली थीं कथाएं और आदरणीयों के सम्पादन में छपने वाली पुस्तक में अपना तीन अक्षर का छोटा सा नाम देखकर तीन जहां की खुशी का आभास हो रहा।
बहुत बहुत आभार श्री श्याम सुंदर अंकल जी आपका । हमारे लिए बड़े गर्व की बात है यह। श्री Balram Agarwal भैया आपका भी दिल से आभार।
दिनांक 29 /१०/ 2017 को 26वें अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन के दौरान इसका विमोचन हुआ | जहां हमारी उपस्थिति इस ख़ुशी को कई गुना बढ़ा गयी |--००---
१--रीढ़ की हड्डी
संग्रह की पहली लघुकथा "रीढ़ की हड्डी" जो मेरे दिल के करीब है ..
इस कथा को पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग के इस लिंक पर क्लिक करिये ..
http://kavitabhawana.blogspot.in/2016/10/blog-post_18.html
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२--कागज का टुकड़ा
संग्रह की दूसरी लघुकथा "कागज का टुकड़ा" है |
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http://kavitabhawana.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html
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३--मीठा जहर-
संग्रह की तिसरी लघुकथा "मीठा जहर" है |
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http://kavitabhawana.blogspot.in/2017/11/blog-post.html
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