Monday 11 August 2014

संस्कार


संस्कार-

खबर लगते ही सुमन बदहवास-सी घटना स्थल पर पहुंची। अपने बेटे प्रणव की हालत देख वह बिलख रही ही थी कि भीड़ से आती फुसफुसाहटें सुनकर सन्न रह गयी। एक नवयुवती की आवाज सुमन के कानों में तीर-सी जा चुभी- "अंडे से बाहर आए नहीं कि लड़की छेड़नी  शुरू कर दी।"
एक आवाज और छूटी तो सीधे हथोड़े-सी सुमन के दिल पर जा पड़ी - "नालायक! सरेआम लड़की छेड़ रहा था। सबने अच्छे से कुटाई की इसकी ।"
सुर-से-सुर मिलाती सर्र से एक और आवाज आकर सुमन के कान से टकराई - "अच्छा हुआ पिटा। कैसा जमाना आ गया है भाइयों के साथ भी लड़की सुरक्षित नहीं चल सकती..|" सब सुनकर  शर्म से जमीन में धँसी जा रही थी सुमन। 
 "अरे नहीं, 'भाई नहीं थे |' वो सारे तो इस लड़के की धुनाई करके भाग गए। लेकिन देखो वह लड़की अब भी खड़ी हो सुबक रही है ।" बगल में ही खड़ी बुजुर्ग महिला बोली तो सुमन का खून खौल उठा | 
वह घायल हुए प्रणव पर ही बरस पड़ी- "हमने तुझे क्या ऐसे 'संस्कार' दिए थे करमजले! बहन-बेटी की सुरक्षा की शिक्षा दी थी मैंने और तू ..! अच्छा हुआ जो तेरी कोई बहन नहीं है ।
प्रणव - "मम्मी! सुनो तो ! मैंने ....!"
 सुमन बड़बड़ाती हुई उस लड़की की तरफ जाकर बोली - "बेटी! माफ़ करना, ऐसा नहीं है वह। बस संगत आजकल गलत हो गयी है उसकी, मैं बहुत शर्मिंदा .."
"नहीं ! नहीं! आंटी जी, इसकी कोई गलती नहीं है। वह तो मुझे बचा रहा था उन दरिंदो से। इसके साथ जो लड़के थे, उन्होंने ही आपके बेटे की यह हालत की है। इसने तो उनसे मेरा बचाव करना चाहा था। सब भीड़ देख भाग खड़े हुए वर्ना न जाने क्या होता...!" लड़की सुबकते हुए बोली |
सुनकर अचानक सुमन को गर्व हो आया अपने बेटे पर | 
 "हमें माफ़ कर देना मेरे बच्चे, हमने कैसे समझ लिया कि मेरा बेटा ऐसा कुछ कर सकता है।" बेटे के पास जा उसका सिर गोद में रख बिलखते हुए बोली। अब भीड़ भी उसको कोसने के बजाय हमदर्दी में आसपास जुट गई थी।
प्रणव दर्द से कराहते हुए हँसकर बोला - "मम्मी ! मैंने आपके दिए संस्कारो की रक्षा..,आह..! अब तो आपको नाज है न अपने बेटे पर।"अब उसकी आँखों में क्रोध से उपजा धकधकता अँगार नहीं बल्कि ममता का सागर उफ़ान ले रहा था।  
 "तुझे समझाती थी न कि संगत अच्छी रख, देखा तूने ! कोई अम्बुलेंस बुलाओ |" चीखने लगी सुमन | 
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प्रथम प्रकाशित लघुकथा -- "पुुष्पवाटिका" पत्रिका में सेतेम्बर 2014 में ।

4 comments:

विभा रानी श्रीवास्तव said...

प्रेरक कहानी
शायद सोच बदले
स्नेहाशीष बच्ची

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

शुक्रिया दीदी ...शुभ रात्रि _/\_

कमल नयन दुबे said...

शिक्षाप्रद कहानी

कमल नयन दुबे said...

शिक्षाप्रद कहानी