"कृष्ण कन्हईया जन्म लेने वाले है रे कलुवा तोहरे घरवा में ता, कुछ मिठाई-उठाई खिलावय क इंतजाम बा की नाही|"
"का मालिक अब आपहु शुरू होई गयेंन सबन की तरह|" "उ ता उप्पर वाले का मर्जी हयेह, हम थोड़व कुछ करा|" कलुवा की बात सुन सब ठहाका लगाने लगे|
"बाबू- बाबू" बदहवास हालत में कलुवा का बेटा चिल्लाता हुआ आया|
"का भा रे चिनुवा"
बाबू- माई",
"का भा तोरे माई के"
"उ माई, 'काकी' कहत बा की बाबू के बोलाय लावा हल्दी, तोहार माई बच्चा जनय के पहिलें ही ....... |" .............सविता मिश्रा
2 comments:
ये भी सच है ।
सुशील भैया सादर नमस्ते ......शुक्रिया दिल से आपका
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