Monday 11 August 2014

राखी भेजा है

चंद धागों में पिरो निज प्यार भेजा है
अपनी रक्षा के लिए साभार भेजा है|


माना तेरे मन में राखी का सम्मान नहीं
बड़े मान से राखी में दुलार भेजा है|


भाई बहिन का नाता जैसे इक अटूट बंधन है
जार जार होता जाता पर जोरजार भेजा है|


ढुलक गया  मोती मेरी नम आँखों से
गूंथ गूंथ ऐसे मोती का हार भेजा है|


सारे शिकवे गिले भूल सावन में हर बार
बंद लिफ़ाफ़े में यादों का भण्डार भेजा है|


मेरी राखी के धागों का मोल नहीं है भैया
प्यार छुपा कर धागों में बेशुमार भेजा है|


मतलब की दुनिया मतलब के सारे रिश्तें नाते
रखना रिश्तें मधुर यही मनुहार भेजा है|


माना होता अजब अनोखा यही खून का रिश्ता
राखी के तारों में निहित रिश्तों का प्यार भेजा है|


कभी ना फीकी हो मेरे भैया कान्ति तेरे चेहरे की
हरने को सारे गम तेरे माँ सा दुलार भेजा है|
सविता मिश्रा

5 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

shukriya bhaiya dil se

दिगम्बर नासवा said...

बहुत ही सुन्दर ... हर शेर दिल के तारों को छूता है ... रक्षाबंधन की शुभकामनायें ...

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

दिगम्बर भैया सादर नमस्ते .......शुक्रिया आपका दिल से

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

आप सभी को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें