Thursday 18 October 2012

~ महान वह है ~


महान वह है जो स्वयं पर ,
फेंके गए पत्थर को फूल समझ ले,
स्वयं पर किये व्यंग को ,
धूल समझ चरणों से रोंद ले |
महान वह है जो बड़े से बड़े ,
आक्षेप को संक्षेप कर ले ,
नफ़रत में कहे शब्दों में ,
प्यार को पढ़ ले |
महान वह है जो स्वयं की ,
बुराई सुन कर हंस ले ,
बुराई को ही अच्छाई की ,
माला समझ धारण कर ले |
महान वह है जो बुरे व्यक्ति को भी ,
अच्छे का नाम दे ले ,
बुराई में ही अच्छाई की ,
प्रतिछाया देख ले |
महान वह है जो स्वयं को ,
दूसरों से छोटा कर ले ,
आप ही है भले ऐसा ,
मान कर चले |
महान वह है जो दरिद्र के भी ,
लग जाये प्यार से गले ,
और कहे आप महान है ,
और हमसे भी है भले |
महान वह है जो नहीं ,
किसी की प्रगति से कभी जले,
स्वयं को उसका ,
प्रसंशक बना कर चले |
महान वह है जो प्यार का ,
चिराग जलाकर चले ,
नफ़रत पर प्यार का ,
मरहम सदा मले |
महान वह है जो नहीं ,
अपनी महानता पर मचले,
अज्ञानी को भी अपने ,
समझ समझ कर चले |
||सविता मिश्रा ||
३०/३/१९९९



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