Thursday 18 October 2012

~कुछ भुला भटका सा~


आज दिल कर रहा है
कुछ याद करूँ
अपने ही
भुले-भटके हुये
गुनाहों को
खुद से ही फ़रियाद करूँ
जो गुनाह किये
आखिर क्यों किये
जो फल भुगता
वह
किस गुनाह का था
कुछ चिंतन करूँ
कितने बड़े गुनाह की
कितनी छोटी सजा मिली
कुछ तो था रहम प्रभु का
कुछ तो उसको मै
इसका धन्यवाद करूँ
क्यों कोसू किसी को
ना कुछ पाने पर
जो पाया है क्यों ना
उसका धन्यवाद करूँ
आज दिल कर रहा है
कुछ तो भुला भटका सा
याद करूँ |
|| सविता मिश्रा |२८/४/२०१२

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