Thursday 18 October 2012

~मत किसे दे~


आज मत किसे दे,
निर्णय नहीं कर पा रहे|
नेता के झूठे वादे ,
कड़वे जहर की तरह पिए जा रहे|

सफ़ेद पोश में रिश्वत-खोरी ,
काला-बाज़ारी,राहजनी ,
डकैती,भ्रष्टाचार हम ,
सहे ही जा रहे |
     हर तरफ बेकारी आक्रोश,
चीत्कार,भुखमरी ,
बस इसी में भारत को ,
सदियों से देखते आ रहे |

क्लब में कैबरे,डिस्को ,
अधजली सिगरेट,
पैग पर पैग,
हम पिए जा रहे है | 
नंबर दो की कमाई,
नही है कमाने में कठिनाई |
पैसे के बल पर हम,
इज्जत नीलाम किये जा रहे |

सभ्यता !
सभ्यता के नाम पर हम,
गुड-मार्निंग किये जा रहे |
हम अपनी ही संस्कृति को ही ,
गुलाम किये जा रहे |
तथा-कथित नेता शहीदों के ,
अमर बलिदान को ,
बदनाम किये जा रहे |
आज मत किसे दे,
निर्णय नहीं कर पा रहे ||
||सविता मिश्रा|| २०/११/८९

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