आज मत किसे दे,
निर्णय नहीं कर पा रहे|
नेता के झूठे वादे , कड़वे जहर की तरह पिए जा रहे| सफ़ेद पोश में रिश्वत-खोरी ,
काला-बाज़ारी,राहजनी ,
डकैती,भ्रष्टाचार हम , सहे ही जा रहे |
हर तरफ बेकारी आक्रोश,
चीत्कार,भुखमरी , बस इसी में भारत को , सदियों से देखते आ रहे |
क्लब में कैबरे,डिस्को ,
अधजली सिगरेट,
पैग पर पैग,
हम पिए जा रहे है |
नंबर दो की कमाई,
नही है कमाने में कठिनाई | पैसे के बल पर हम, इज्जत नीलाम किये जा रहे |
सभ्यता !
सभ्यता के नाम पर हम,
गुड-मार्निंग किये जा रहे |
हम अपनी ही संस्कृति को ही ,
गुलाम किये जा रहे |
तथा-कथित नेता शहीदों के ,
अमर बलिदान को ,
बदनाम किये जा रहे |
आज मत किसे दे,
निर्णय नहीं कर पा रहे ||
||सविता मिश्रा|| २०/११/८९
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किसी के दिल को छू जाए ऐसा कोई भाव लिखने की चाहत ..कोई कवियत्री नहीं हैं हम | अपने भावों को शब्दों का अमलीजामा पहनाते हैं बस .:)
Thursday, 18 October 2012
~मत किसे दे~
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