जिंदगी
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ओ जिन्दगी तेरे नखरे
सहते सहते जब थक जायेगें
यूँ कुछ कर गुजर जायेगें
कि तुम अवाक स्तब्ध रह जाएगी
फिर भूले से भी हमें ना रुलायेगी ...सविता मिश्रा
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ओ जिन्दगी तेरे नखरे
सहते सहते जब थक जायेगें
यूँ कुछ कर गुजर जायेगें
कि तुम अवाक स्तब्ध रह जाएगी
फिर भूले से भी हमें ना रुलायेगी ...सविता मिश्रा
5 comments:
बहुत खूब /////
कुछ पल इधर हमारे website पे भी ....
http://bindasspost.blogspot.in/
thankssssssssssss
बहुत सुन्दर...
कैलाश भैया नमस्ते ......आभार
बिंदास जी आभार आपका
bahut badhiya ...
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