Monday 26 November 2012

एक या दो नहीं तीन ..:)

१.....सहनशक्ति
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हमारी सहनशक्ति को देखना चाहता था
दुःख पर दुःख दे वह परीक्षा ले रहा था
हम भी थे खड़े अडिग हो माथे शिकन ना था
तमतमाया बहुत थक हार चलता बना ..|| सविता मिश्रा ||

२....
नाम की इज्जत
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भस्मीभूत हो जायेगा एक दिन
यह निरीह शारीर मेरा
नहीं चाहती करे कोई बखान
पर इज्जत से नाम ले मेरा |सविता मिश्रा


३...ठगी
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जी रहे थे मौत के इंतजार में
मौत आयी पर धोखा दे गयी
उठा लिया किसी और को छोड़ हमें
जिन्दगी छोड़ो मौत से भी मैं ठगी गयी |
|| सविता मिश्रा ||
ji rahe the mout ke itajaar me
mout aayi par dhokha de gayi
utha liya kisi our ko chhod hame
jindagi chhodo mout se bhi mai thagi gayi|
+++savita mishra+++

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