
शब्दों के तीर बड़े जालिम होते है
दिल में जा सीधे घाव करते है
नश्तर से चुभे शब्द बाण तुम्हारे
क्या करें हम अब भूले न भुलाये....सविता मिश्रा
२...व्यंग बाण
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जिगर के टुकड़े चार करें
आँसूओं की भी भरमार करें
भरता नहीं फिर भी उसका जिया
व्यंग बाण कर वह फिर प्रहार करें | ..सविता मिश्रा
३...कुटिल चाल
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क्यों ऐसा है प्यार भरा रिश्ता भी मकड़जाल में फंस जाता
शब्दों के कुटिल चाल से दिल को बहुत ही आघात हो जाता |...सविता
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