Monday 19 November 2012

स्वकथन

     १...पत्थर को भगवान् बनाने वाला इंसान होता है, पर इंसान खुद को इंसान बना पाने में असफल रहता है ..क्योकि पत्थर को तराशना आसान है, खुद को मुश्किल..सविता मिश्रा
२...औरत के पास ताकत है पर वह उसका इस्तेमाल सहने में करती है, जिस दिन भड़क गयी हिम्मत नहीं किसी पुरुष में ..मरेगी तो अवश्य पर मार कर एक दो को....सविता


३ ....कौन क्या पहनता है क्या खाता है क्या पिता है क्या मतलब है पर नहीं दूसरों के गिरेबान में झांकने की बुरी आदत जो है कैसे सुधरें .....सच्चाई भी हजम नहीं होती लोगों को बस बैल की तरह सिंग उठाई और मारने लगे बिना समझे बिना बुझे ........वैसे आवारा पशुओं की तादाद बढती जा रही है ..है ना ..उपाय तो है पर कारगर शायद नहीं ...सविता ...
असभ्य लोग कृपया दुरी बनाएं रक्खे इस पोस्ट से ........शुभ संध्या आप सभी को

11 comments:

Anonymous said...

Aachary Kashyap
****************
uttam rachana

Anonymous said...

jai ho didi bahut sundar kavita hai , har har mahadev

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

धन्यवाद आचार्य भैया

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

धन्यवाद किशोर भैया ............

Unknown said...

लेया दिदी हम आई गए ...........

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

बढ़िया किये @kishor bhai

ए० के० दुबे said...

जय ..हो ...//भोले नाथ ....सब गण लोग पहिले ही उपस्थित हैं प्रभु //हमहूँ आये ही पहुंचे ...

ए० के० दुबे said...

भईया ..हम भी आ ही गए हैं //

Anonymous said...

guru jee saadar naman ..... hum aapke ekmev motai waale sisy --- bolero baba ///// pahichana didi --- good morning

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

ha kkp bhai phchan hi gaye bhale jis rup me aavo

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

pranaam guruji ....apka svagat hai yaha ...