Monday 19 November 2012

रेगिस्तान में नखलिस्तान ही ////मजबूर न थे


१...क्या बना भेजा था
प्रभु ने इह लोक

हम क्या बनते जा रहे है
किकर्व्यविमुढ हो
इधर उधर भटकते

रेगिस्तान में नखलिस्तान ही
ढूढ़ते खुद को पा रहे है
...
..
. सविता

२....हम तो हम थे
पर अब जो तुम हो
वह पहले तुम ना थे
कैसे समझाए
हम खुद को
पहले कभी इतने
मजबूर न थे|सविता मिश्रा

4 comments:

Anonymous said...

Aachary Kashyap
**************
samvednawon ko vyaqt karti uttam rachna

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

धन्यवाद आचार्य भैया ..................

Unknown said...

नम:शिवाय ........ हर हर महादेव ..... जय शिव शन्कर ......... बहुत खूब दिदी

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

dhanyvaad @kishor bhaiya ...har har mahadev