जीना था जिए जा रहे थे
ना कोई उद्देश्य ना कोई चाहत थी
लोगों की भीड़ चलती जिधर
चल पड़ते हम भी उधर ही
थे उद्देश्य हीन
करना क्या था
क्या किये जा रहे थे|
मौत भी दस्तक दे लौट गयी
कई बार दरवाजे से हमारे
पीना था जहर
पिये जा रहे थे
लोगों के ताने
सहे जा रहे थे|
ख्वाब में ही यह बदरंग दुनिया
बड़ी सुहानी सी लगती है
हकीकत में तो जुल्मों सितम से
भरपूर डरावनी लगती है|
हर शख्स बेगाना सा लगता है
पर फिर भी अपना कह
खुद को ही धोखा दिए जा रहे है|
धोखे में ही जीने की आदत हो गयी है
अब तो हर हकीकत को फरेब और
फरेब को हकीकत समझते आ रहे है |...सविता मिश्रा
ना कोई उद्देश्य ना कोई चाहत थी
लोगों की भीड़ चलती जिधर
चल पड़ते हम भी उधर ही
थे उद्देश्य हीन
करना क्या था
क्या किये जा रहे थे|
मौत भी दस्तक दे लौट गयी
कई बार दरवाजे से हमारे
पीना था जहर
पिये जा रहे थे
लोगों के ताने
सहे जा रहे थे|
ख्वाब में ही यह बदरंग दुनिया
बड़ी सुहानी सी लगती है
हकीकत में तो जुल्मों सितम से
भरपूर डरावनी लगती है|
हर शख्स बेगाना सा लगता है
पर फिर भी अपना कह
खुद को ही धोखा दिए जा रहे है|
धोखे में ही जीने की आदत हो गयी है
अब तो हर हकीकत को फरेब और
फरेब को हकीकत समझते आ रहे है |...सविता मिश्रा
4 comments:
Bahut badiya Savita Bahen...
abhar @aseem bhaiya
Aachary Kashyap
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bahut sundar
धन्यवाद आचार्य भैया ..............
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