Monday 19 November 2012

कुछ यूँ ही

१....माना हम सूरज है पर चाहत नहीं उसकी तरह ख्याति पायें
दीपक बन भी यदि रोशन कर सकें जहाँ तो खुशनसीबी होगी अपनी
...सविता
२...सूरज से आंख मिलाने की धृष्टता कर बैठे थे कभी
उसने छट से हमे हमारी औकात दिखा दी थी तभी ..सविता मिश्रा


३..हमारी हर लेखनी पर क्यों बवाल कर देते हो
खामख्वाह हम पर ही क्यों सवाल कर देते हो ...सविता मिश्रा

४..
मुठ्ठी कस कर भींच रक्खी थी हमने गुमान था रिश्तों को बांध रखा हैं
पर रिश्तें एक-एक कर फिसलते गये रेत से मुट्ठी को लहुलुहान करके| सविता

५...
हम चुप है तो मत समझो तुम हमें कमजोर
चंडी बन गएँ तो बनना होगा तुम्हें रणछोर ....सविता

6 comments:

Anonymous said...

Aachary Kashyap
**************
aap suraj hi hain bahin

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

dhanyvaad apka Aachary bhaiya

Unknown said...

nice quote didi

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

dhanyvaad @kishor bhai ............

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...
This comment has been removed by the author.
सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

dhanyvaad @amit bhaiya .............