अपने पोते को लड़कियों के साथ घर आया देख दादी ने माथा
पीट लिया | बेटे को भला बुरा कहती हुई बोली "मन्नू क्या ऐसे संस्कार दिए
थे मैंने, जो तूने अपने बेटे को दिया | गुमराह हो गया है तेरा बेटा| देख
कैसे लडकियों से खी-खीकर ,लिपट चिपट कर..बात कर रहा है | मेरे बच्चे कितने
संस्कारी थे पर तेरे....छी छी क्या जमाना आ गया है |"
पोता माँ के पास जाकर बोला -" किस जमाने से आई है दादी | जाके बता दूँ क्या कि मैंने तो लडकियों से महज दोस्ती की है, भैया तो बंगलौर में अपनी सहकर्मी के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में है| और 'चाचा जी' वह तो राह ही भटक गये थे मेरी दोस्त पर ही .....
" चुप कर बेटा क्यों लंका-दहन करने पर तूला है| एक दो महीनों के लिय गाँव से आई हैं, हंसी-ख़ुशी बीत जाने दे। "
सविता मिश्रा
पोता माँ के पास जाकर बोला -" किस जमाने से आई है दादी | जाके बता दूँ क्या कि मैंने तो लडकियों से महज दोस्ती की है, भैया तो बंगलौर में अपनी सहकर्मी के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में है| और 'चाचा जी' वह तो राह ही भटक गये थे मेरी दोस्त पर ही .....
" चुप कर बेटा क्यों लंका-दहन करने पर तूला है| एक दो महीनों के लिय गाँव से आई हैं, हंसी-ख़ुशी बीत जाने दे। "
सविता मिश्रा
2 comments:
बहुत सुन्दर...
आभार कैलाश भैया _/\_
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