Friday 27 February 2015

~~मौकापरस्त ~~

जनता से ठसाठस भरे पांडाल में कद्दावर नेता गला फाड़ भाषण देने में मशगुल थें |
तभी एक चमचा कान में फुसफुसाया- "अरे जनाब क्या कह रहें हैं | 'धर्मान्तरण' कहाँ  हुआ | न्यूज पेपर वाले तो शगूफ़ा छोड़े थे बस |"
" चुप करो ! राजनीति नहीं समझते क्या ?
आग न्यूज वालों  ने लगायी | फूंक मार उसे प्रज्ज्वलित करते रहेगें हम |"
"जी " चमचा आँख नीची कर बोला
"जनता को कब बरगला है, कब फुसलाना | यही गुर सीख जाओ बस |
चिंगारी को हवा दोंगे तभी तो आग भड़केंगी | और जब आग भड़केंगी तभी लोहा गरम होगा |" समझाया कद्दावर नेता ने धीरे से

"और गर्म लोहे पर
हथौड़े के प्रयोग में आप माहिर ही है| " चमचा कान में फुसफुसा मुस्करा दिया |
"अब सही समझे | लगे रहो | राजनीती के धुरंधर एक दिन बन ही जाओंगे, यही स्पीड रही तो |"

अब तो चमचा मूंछो पर ताव दे सपनों में ही गुलाटी मारने लगा|
कद्दावर नेता उसे देख समझ गये कि गर्म लोहे पर हथौड़ा यहाँ भी पड़ गया है|..सविता मिश्रा

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