जिन्दगी की डगर
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जिंदगी की डगर चलती है किधर
पता नहीं है किसी को मगर
फिर भी चलना है पड़ता
चाहे कितना लम्बा हो रास्ता
रास्ते में लगती है ठोकर बहुत
बिछे होते है कांटे अनगिनत
कांटे बिछे रास्ते भी हो जाते है सरल
मिल जाता साथी साथ जो दो पल
दो पल भी होगा तेरा अनमोल
मिल ही जायेगी मंजिल
जिंदगी की डगर तब खुद-ब-खुद
दिखाएगी रास्तें फूल भरे
||सविता मिश्रा ||
पता नहीं है किसी को मगर
फिर भी चलना है पड़ता
चाहे कितना लम्बा हो रास्ता
रास्ते में लगती है ठोकर बहुत
बिछे होते है कांटे अनगिनत
कांटे बिछे रास्ते भी हो जाते है सरल
मिल जाता साथी साथ जो दो पल
दो पल भी होगा तेरा अनमोल
मिल ही जायेगी मंजिल
जिंदगी की डगर तब खुद-ब-खुद
दिखाएगी रास्तें फूल भरे
||सविता मिश्रा ||