Sunday 7 November 2021

वर्दी वाले (लघुकथा)

 वर्दी वाले
सविता मिश्रा 'अक्षजा'


बाहर साइकिल खड़ा करता हुआ सोनू बोला - “पापा, आज तो मेरी रेहड़ी पर पुलिस ही पुलिस आयी थी।” 
सुनकर पिता का चेहरा मलिन हो उठा। जेब में हाथ कुछ टटोलने लगा था।
“तू रेहड़ी लगाया कहाँ था कि ग्राहक न आये? जानता है न कि कितने मुश्किल से मैं और तेरे पिता दीये बनाते हैं।” माँ के चेहरे की तकलीफ शब्दों में बह गई।
“अम्मा चौराहे पर ही तो बैठा था। ग्राहक तो पास से खूब सारे गुजर रहे थे।”
“थोड़ा दूर बैठता। चार दिन भर पेट भोजन मिल जाता, अब वो भी नसीब नहीं होगा।”
“क्यों डांट रही है, पहली बार रेहड़ी लगाई थी, इसे ज्यादा जानकारी थोड़ी ही थी।”
“दीपक गए तो गए पचास रुपये की डलिया भी गवां आया। अच्छा चल, रोटी बनाती हूँ, खा ले। फिर देखूँगी क्या करना है। लगता है दिवाली पर भी सूखी रोटी ही खानी पड़ेगी।”
“अम्मा, ये लो। इस बार दीपावली पर हम भी पूड़ी और पनीर की सब्जी खाएंगे।” पास आकर सारे रुपये माँ के आँचल में डाल दिया।
“इतना रुपया!”
“जो दरोगा साहब चौराहे पर बैठे थे, वह मुझसे मेरे बारे में अपनी ड्यूटी से खाली होते ही पूछने लगते थे।”
 “अच्छा..!”
“उन्होंने कड़ककर पूछा था कि पढ़ता-लिखता भी है..!
तो मैंने उन्हें बताया कि कैसे मेरी पढ़ाई छूट गयी। पापा का अपाहिज होना, तेरी बीमारी के बारे में भी|  घर का सारा हाल भी मैंने उनसे कह डाला।”
“अच्छा..! तो क्या कहा?”
“कुछ नहीं, डंडा फटकारते हुए अपने काम में लग गये थे।"
“बेचा किसे, ये तो बता?” पिता ने कराहते हुए पूछा।
“थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि ढ़ेर सारे पुलिसवाले मेरी ओर आ रहे हैं। मैं डर गया था अम्मा! पापा ने जो कहा था वो सब आँखों के सामने नाचने लगा था। मेरी नजरें उन दरोगा अंकल को खोजने लगी थी जैसे मेरी रेहड़ी बच जाए।”
“फिर, क्या सारे तोड़ दिया उन लोगों ने। उस दरोगा ने अपने लोगों की करतूत पर पर्दा डालने के लिए इतने रुपये तुझे पकड़ाये?”
“अरे ना अम्मा! इतने भी खराब नहीं होते हैं वर्दी वाले। सभी ने अच्छी कीमत देकर दर्जन-दो दर्जन दीपक खरीदें। वो दरोगा अंकल भी मुस्कुराते हुए उन सबके पीछे खड़े थे, दुगनी कीमत देकर बचे हुए दीपकों को उन्होंने ले लिया।”

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Monday 17 May 2021

संजीवनी (लघुकथा)




 दैनिक जागरण में छपी  लघुकथा पुनः सही तथ्य के साथ आप सबके बीच...😊 

संजीवनी (लघुकथा)

सविता मिश्रा 'अक्षजा'


इंटरनेट मीडिया पर घंटो बिताने के दौरान अचानक स्नेह ने कहा- “पापा, काश मुझे भी कोरोना हो जाता!”

“ओह, क्या कह रही हो बिटिया| भगवान दुश्मनों को भी न दें ये रोग| कितने लोग असमय ही दुनिया छोड़कर जा रहे हैं|”

“पापा, अस्सी परसेंट ठीक हो रहे हैं| मम्मी और आप भी तो अब बिलकुल ठीक हो गये हैं न!”

“हां, हां, ठीक हो रहे हैं, लेकिन लोग अपनी जान बचाना चाह रहे हैं और तू है कि पॉजिटिव होना चाह रही है!”

“पापा मैं लोगों की जान बचाना चाहती हूं|”

“गजब प्राणी है तू भी! बीमार होकर कोई किसी की जान बचा सकता है क्या?”

“हाँ पापा, ठीक होने के बाद प्लाज्मा देकर| आप तो लोगों को बस दुआ देना जानते हैं, प्लाज्मा देने में जाने क्यों डरते हैं!”

“अच्छा, अच्छा! ठीक है| चल लेकर चल मुझे अस्पताल, मैं प्लाज्मा देने को तैयार हूं| तुझे इस तरह नौटंकी करने की जरूरत नहीं है|”

उंगली पकड़कर चलाने वाला पिता बिटिया की हथेली थाम बच्चे-सा चल पड़ा था।

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Thursday 4 March 2021

संग्रहों का लेखाजोखा

 लेखिका - सवितामिश्रा ‘अक्षजा’ गृहिणी।

जन्म : 1/6/73, इलाहाबाद ।
पुस्तक का नाम – रोशनी के अंकुर लघुकथा संग्रह (१०१ लघुकथाएँ)
प्रकाशन वर्ष ; नवम्बर २०१९ में प्रकाशित|
संकलन - अनेक लघुकथा संकलनों में लघुकथाएँ
ई-मेल : 2012.savita.mishra@gmail.com
मो. : 09411418621
१०१ लघुकथाएँ---

माँ अनपढ़/ मात से शह/ सम्पन्न दुनिया/ अधूरा कोटा /पेट दर्द/ इज्ज़त/ कागजका टुकड़ा/ आहट/ सही दिशा/ प्यार की महक/ तुरपाई/ तीसरा/ अभिलाषा/ माँ की सीख/ निर्णय/समय का फेर/ पुरानी खाई-पीई हड्डी/ मन का बोझ/ बदलते भाव/ मौकापरस्त/ आस/ खुलतीगिरहें/ वर्दी/ हाथी के दांत/ मन का चोर/ टीस/ ढाढ़स/ अहमियत/ रिश्ता/ कथा है/ बिनमुखौटे के/ ठंडा लहू/ नीयत/ आत्मग्लानि/ बदलाव/ आत्मसम्मान/ सबक/ दाएं हाथ का शोर/ मीठा जहर/पेट की मज़बूरी/बेबसी/ भूख/ हिम्मत/ दर्द/ सुरक्षा घेरा/ ज़िद नहीं/ ब्रेकिंग न्यूज़/ पाठशाला/सच्चीसुहागन/ रीढ़ की हड्डी/ सर्वधाम/ बेटी/ दंश/ अफवाहों के बीच/ ग्लानि/ यक्ष प्रश्न/दूसरा कन्धा/ सबक/ ज़िंदगी का फ़लसफ़ा/ वैटिकन सिटी/ जुड़ाव/ नशा/ पछतावा/ कृतघ्न/सहयोगी/ हस्ताक्षर/ बाजी/अन्याय/ सौदा/ श्वास/ इन्सान ऐसा क्यों नहीं/ अपनी नज़रोंमें/ ठंड/ राक्षस/ इतिहास दोहराता है/ परछाई/ रौशनी/ परिवर्तन/ दुनियादारी/मुक्ति/ उपयोगिता/ अस्त्र/ सच्चा दीपोत्सव/ आशंका/ तोहफ़ा/ कर्मशक्ति/ कपूर/ खुशबू/फ़ांस/ ठूँठ/ पारखी नज़र/ एक बार फिर/ हिम्मत/ भाग्य का लिखा/ काँटों भरी राह/कलुषता/ सीमा/ कसक/ परिपाटी/ उपाय |-०-
अन्य संग्रह ----


लघुत्तम-महत्तम लघुकथा-संकलन-अभ्युत्थान प्रकाशन

संपादिका -महिमा 'श्रीवास्तव' वर्मा

प्रकाशन समय - अगस्त २०१८

लघुकथा के १४वें संकलन में मेरी 'तीन' लघुकथाओं को स्थान दिया गया है | संपादिका महिमा 'श्रीवास्तव' वर्मा का आभार।

१--एक बार फिर

२--वेटिकन सिटी

३--इज्ज़त
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'नयी सदी की लघुकथाएँ' लघुकथा-संकलन- 'नवशिला प्रकाशन' से प्रकाशित

सम्पादक- अनिल शूर आजाद

प्रकाशन समय - जुलाई २०१८

लघुकथा के १3वें संकलन में मेरी 'दो' लघुकथाओं को स्थान दिया गया है | सम्पादक डॉ.अनिल शूर आज़ाद का आभार।

१--मन का चोर

२--दूसरा कन्धा

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'अभिव्यक्ति के स्वर' लघुकथा-संकलन - 'हिन्द युग्म' से प्रकाशित

सम्पादक- विभा रानी श्रीवास्तव

प्रकाशन समय - जुलाई २०१८

लघुकथा के १२वें संकलन में मेरी 'पाँच' लघुकथाओं को स्थान दिया गया है | सम्पादक विभा रानी श्रीवास्तव दीदी का आभार।

१--मूल्य (बेटी)

२--वर्दी

३--ग्लानि

४--गिरह

५--टीस

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"नई सदी की धमक" साझा-लघुकथा-संग्रह- दिशा प्रकाशन

सम्पादक - श्री मधुदीप गुप्ता

विमोचन- दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में जनवरी २०१८

लघुकथा-बेटी

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'सफ़र संवेदनाओं का' साझा-लघुकथा-संग्रह - वनिका पब्लिकेशन

सम्पादक द्वय -डॉ. जितेन्द्र जीतू जी और डॉ. नीरज सुधांशु जी |

विमोचन- दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में जनवरी २०१८ में |

प्रकाशित चार लघुकथाएँ .--

१..पछतावा

२ -परिपाटी

३--उपाय

४--अमानत

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"आसपास से गुज़रते हुए" साझा-लघुकथा-संग्रह - अयन प्रकाशन |

सम्पादक द्वय - सम्पादक द्वय .. ज्योत्स्ना 'कपिल' और डॉ. उपमा शर्मा |

विमोचन- दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में जनवरी २०१८ में

"आसपास से गुज़रते हुए" साँझा-लघुकथा-संग्रह जनवरी -२०१८ में प्रकाशित "परिवर्तन" नामक कथा-

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प्रतियोगिता के अन्तर्गत 'शब्द निष्ठा सम्मान-2017' में मेरी लघुकथा 'सर्वधाम' ३५वें स्थान पर रही |"आधुनिक हिंदी साहित्य की चयनित लघुकथाएँ" साझा-लघुकथा-संग्रह--बोधि प्रकाशन |

सम्पादक- कीर्ति शर्मा

विमोचन- अजमेर में अक्टूबर 2017 को

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‘सपने बुनते हुए' साझा-लघुकथा-संग्रह-ललिता अग्रवाल स्मृति संस्थान, कोटकपूरा |

सम्पादक द्वय-- श्री श्याम सुंदर जी और श्री बलराम अग्रवाल

विमोचन- दिनांक 29 /१०/ 2017 को 26वें अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन पंचकूला में |

२०१७ में प्रकाशित तीन लघुकथाएँ --

१--रीढ़ की हड्डी

२--कागज का टुकड़ा

३--मीठा जहर

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'लघुकथा अनवरत' दूसरा सत्र २०१७ साझा-लघुकथा-संग्रह- "अयन प्रकाशन"

सम्पादक द्वय ..श्री सुकेश साहनी और श्री रामेश्वर काम्बोज |

विमोचन- दिल्ली के पुस्तक मेले में जनवरी २०१७ में |

प्रकाशित तीन लघुकथाएँ .

१...जीवन की पाठशाला

2...सच्ची सुहागन

३..ब्रेकिंग न्यूज |

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'लघुकथा अनवरत' सत्र २०१६ साँझा-लघुकथा-संग्रह-- "अयन प्रकाशन"

सम्पादक द्वय ..श्री सुकेश साहनी और श्री रामेश्वर काम्बोज |

विमोचन दिल्ली में पुस्तक मेले में जनवरी २०१६

प्रकाशित चार लघुकथाएँ--

१..पेट की मज़बूरी

२..पुरानी खाई -पीई हड्डी

३..ढाढ़स

४..भाग्य का लिखा

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'अपने अपने क्षितिज' साझा-लघुकथा-संग्रह -वनिका पब्लिकेशन

सम्पादक द्वय -डॉ. जितेन्द्र जीतू जी और डॉ. नीरज सुधांशु जी |विमोचन- दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में जनवरी २०१७ में हुआ |

प्रकाशित चार लघुकथाएँ .

१..ज़िद नहीं

2...हिम्मत

३...सुरक्षा घेरा

4..दर्द |

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"उद्गार" लघुकथा संकलन - वनिका पब्लिकेशन

संकलनकर्ता - रश्मि सिन्हा दीदी

प्रकाशित - फ़रवरी २०१८

इस संकलन में मेरी चार कथाओं को स्थान दिया गया है | समूह की संचालिका रश्मि सिन्हा दीदी का आभार। साथ के साथ नीरज शर्मा दीदी का बहुत बहुत धन्यवाद --१--दोगलापन

२--खुलती गिरहें

३--सहयोगी

४-- कृतघ्न

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'मुट्ठी भर अक्षर' साझा-लघुकथा-संग्रह

२४ अप्रैल २०१५ में 'मुट्ठी भर अक्षर' साझा-संग्रह ...हिंदी युग्म प्रकाशन

सम्पादक द्वय ..विवेक कुमार और श्रीमती नीलिमा शर्मा |

विमोचन दिल्ली के हिंदी भवन में 24 April 2015 को |

हमारा पहला साझा-लघुकथा-संग्रह |

प्रकाशित छः लघुकथाएँ ..

१..हस्ताक्षर

२...हाथी के दांत

३...जन्मदाता

४...आस

५...बदलते भाव

६...खुशी में छुपा गम

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'लघुकथा अनवरत' दूसरा सत्र २०१७ साझा-लघुकथा-संग्रह- "अयन प्रकाशन"

सम्पादक द्वय ..श्री सुकेश साहनी और श्री रामेश्वर काम्बोज |

विमोचन- दिल्ली के पुस्तक मेले में जनवरी २०१७ में |

प्रकाशित तीन लघुकथाएँ .

१...जीवन की पाठशाला

2...सच्ची सुहागन

३..ब्रेकिंग न्यूज |

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समकालीन लघुकथा का सौंदर्यशस्त्र’ 2019 में

संपादन : जितेंद्र जीतू भैया

वनिका पब्लिकेशनस से

प्रकाशित लघुकथाएँ .- सुकून

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विशेषांक पत्रिकाएँ --

मिनी पत्रिका (पंजाबी)

संपादक एवं अनुवादक - श्री श्याम सुंदर दीप्ति,

लघुकथा : रीढ़ की हड्डी

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साहित्य कलश अंक

ध्यान नहीं

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समकालीन प्रेम-विषयक लघुकथाएँ

प्रकाशित दो लघुकथाएँ .

१..मुक्ति
2...वेटिकन सिटी
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संरचना २०१९

सम्पादक - श्री कमल चोपड़ा

लघुकथा- प्यार की महक

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सहोदरी लघुकथा साझा संकलन

प्रकाशित पांच लघुकथाएँ --

उम्रदराज प्रेमी

रंग-ढंग

बदलाव

सबक

दंश

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कारवाँ साझा संकलन

सम्पादक-मिथिलेश दीक्षित दीदी

सही दिशा

आत्मसम्मान

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६६ लघुकथारों की ६६ लघुकथाएँ

खुलती गिरहें

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महानगर की लघुकथाएँ

सम्पादक- श्री सुकेश साहनी

तोहफा

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आधुनिक साहित्य पत्रिका 

अतिथि सम्पादक - बलराम अग्रवाल भैया

१- बदलते भाव

२- आत्मग्लानि
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कथादेश पुरस्कृत लघुकथाएँ (पुस्तक )

सम्पादक - श्री हरिनारायण एवं श्री सुकेश साहनी

लघुकथा - प्यार की महक