Sunday 7 August 2016

...मित्रता दिवस की बधाई ...

मित्र अच्छे हों या बुरे,बस मित्र होने चाहिए | हो सकता हैं जिसे हम बुरा कह रहें वो सबसे अच्छा मित्र हो| अक्सर होता यूँ हैं जो मेरी हाँ में हाँ मिलाए वो अच्छा मित्र और जो थोड़ा भी विरोध जताए वो घाती मित्र | मतलब है अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारने से मना करने वाले मित्र को हम मित्रता लायक न मानते| क्यों ऐसा ही होता है न ?

जो भी हो एक अदद मित्र तो होना ही चाहिए| ऐसा भी नहीं कि बिन मित्र के जिन्दगी गुजरेगी ही न, गुजरेगी भई| येन केन प्रकारेण तब भी ऐसी ही गुजरेगी जैसे पहले और अभी गुजरती रही हैं | माँ-बाप-भाई-बहन-दादी-दादा किसी न किसी रूप में दोस्त मिल ही जाते है| और जीवन की गाड़ी अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ती रहती है |

कहते हैं कि जब भी कुछ होता है तो किसी न किसी बात की ओर संकेत करता है | आज नाग पंचमी और मित्रता दिवस दोनों का एक ही दिन होना, यह संजोग कहीं कोई संकेत तो नहीं कर रहा हैं न !
कुछ मित्र बरसाती सांप सरीखे हो सकते है, उनसे डरने की भी जरूरत न! बस थोड़ी सी सावधानी ही चाहिए होती हैं|  संवेदनशील व्यक्ति असावधान हो सकता है| तो भी क्या ! वो लूट कर क्या ले जाएगा आपका, बस अपना ही रंग दिखला जाएगा| वैसे भी सब कुछ यहीं पर कमाना है और यहीं छोड़ कर जाना है | कुछ भी तेरे-मेरे साथ न जाना | अतः दोस्ती के सीने पर खंजर मारने वालो से डरने की जरूरत ना शायद | अपनी अल्पबुद्दी तो यही कहती है| कुछ नाग सरीखे लोग होते जिनसे हम दोस्ती करने में भले डरे पर होते वो सच्चे दोस्त | मतलब साफ़ जो दीखते, वो लोग वो न होते जो दिखाई पड़ते है; बल्कि वो होते जो वो दिखलाना  चाहते हैं |


परन्तु इस साल यह दोनों दिवस एक साथ पड़ बहुत बड़े घात से आगाह भी करवा रहें हैं |
अतः दिखलाने और ना दिखने वाले स्वभाव -गुणों के भेद को समझ सावधान रहिए | आज के जमाने में तो लगता हैं कि 'ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर' इस कहावत पर सरपट दौड़ना चाहिए| जैसे आपको दुखी हो यह गाना न गुनगुनाना पड़े कि 'दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा जिंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा'| सविता मिश्रा

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