रोहित गाँव पहुँचने के दो घंटे बाद ही, बहुत
खुश हो अपनी प्रिंसिपल पत्नी को फोन करता है ..."स्वीट हाट,
अम्मा मान गयी, उसे कल ही लेके मैं आ रहा हूँ |
वह ‘कमला वाला कमरा’ जरा साफ़ करा देना | और हाँ ! जो पिताजी की तस्वीर स्टोर रुम में फेंक दी थी तुमने, वह
पड़ी होगी कहीं | उसे खोजकर उस पर सुंदर सा गमकते फूलों
का हार जरुर चढ़ा देना | इतना तो कर सकती हो न मेरे लिय,
प्लीज .. !” बेटे
से कुछ कहने आईं कमरे के बाहर खड़ी माँ बेटे की बात सुन सन्न रह गयी | आँखों से झर-झर आँसुओ की धारा बहने लगती है,
पर पोते को देखने की ख़ुशी में उलटे पाँव
हो कपड़ें-लत्तें की एक गठरी बांध लेती है |
“मूल से सूद ज्यादा प्यारा होता है, तुम समझते हो न ? कहते हुए खुद की आत्मा को टांग देती है दीवार पर लटकती अपने पति की तस्वीर पर हार के साथ |
“अम्मा जल्दी करो देर हो रही |”
रुआसें स्वर में बोली - “तुम समझ गये न ! अपनी स्वाभिमानी आत्मा के साथ गयी तो दो पल भी नहीं ठहर पाऊँगीं अपनी बहु के पास | बहु के पास रहने के लिए अपनी आत्मा को अपनी कुटीया में ही छोड़ना होगा |” आँसुओ को दिल के कोने में दफन कर स्वार्थी बेटे के साथ चल देती है शहर की ओर..|
“मूल से सूद ज्यादा प्यारा होता है, तुम समझते हो न ? कहते हुए खुद की आत्मा को टांग देती है दीवार पर लटकती अपने पति की तस्वीर पर हार के साथ |
“अम्मा जल्दी करो देर हो रही |”
रुआसें स्वर में बोली - “तुम समझ गये न ! अपनी स्वाभिमानी आत्मा के साथ गयी तो दो पल भी नहीं ठहर पाऊँगीं अपनी बहु के पास | बहु के पास रहने के लिए अपनी आत्मा को अपनी कुटीया में ही छोड़ना होगा |” आँसुओ को दिल के कोने में दफन कर स्वार्थी बेटे के साथ चल देती है शहर की ओर..|
2 comments:
माँ का दिल है जो मानता नहीं ... वर्ना ऐसे बेटों को देखना भी नहीं चाहिए ... बहुत संवेदनशील कहानी ...
digmbar bhaiya saadr namste ....shukriya dil se
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