Saturday 4 April 2015

~सपनों की दुनिया~ (laghuktha)

बापू को बादलों की ताकते बचपन से देखता आ रहा था | बापू अपनी खड़ी, पकी फसल को बर्बाद होते कैसे देखतें | अतः जब भी काले बादल दीखते वह प्रार्थना करने लगतें थें |
एमबीए कर रोहित सूट-बूट पहनते ही अलग ढंग से सोचने लगा था|
वह बापू को समझाते हुए बोला "बापू ये सीढी देख रहें हैं न , इसके जरिये आप आसमान को छू लेंगे | बादलों के काले -सफ़ेद से फिर आप पर कोई असर ना पड़ेगा|
" पर बेटुआ एई खेतिहर जमीन |"
" बापू जब कोई नहीं सोच रहा फिर आप क्यों ? समझाता सा बोला
"आप बस हाँ करें,खेतों पर सपनों की दुनिया बसा दूँगा|"
'मरता क्या न करता' बापू ने हामी भर ही दीं |
कुछ सालों में ही रोहित सर्वश्रेष्ठ बिल्डर बन बैठा | अपने दिमाग का इस्तेमाल कर आस पास कई किसानों की अकूत जमीन अब उसके कब्जे में थी |
लेकिन बापू की आँखे अब भी बादलों को ही निहारती रहती| ...सविता मिश्रा

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