Wednesday, 25 September 2019

माँ अनपढ़

“क्या कह रही बिटिया ! हमने तो तुम्हें खूब पढ़ाया। हमारे खानदान की कोहू बिटिया ने इतना न पढ़ा है।”
“हाँ अम्मा, तुमने पढ़ाया, लेकिन..!
“हम तो पाँचवी तक बस पढ़े रहे, पर तुम्हें पढ़ाया, जैसे कोई ई न कहें कि जैसे माई वैसेही बिटिया। के कहेस तोहके अनपढ़, बतावअ त, बताई ओहके ...!”
“अम्मा, हम पांचवी में आते ही जैसे तुमका कहते थे न कि अम्मा तुम तो न ही पढ़ाओ हमें! तुमको कुछ न आता, वैसे ही अब..!”
हा हा हा...
“अम्मा, बस करो हँसना, हम पर तो गुस्सा जाती थी । अब वही चीज तुम्हारी नातिन हमसे कह रही है तो उस पर तुम्हें लाड़ आ रहा..!”
“बिटिया, अम्मा लोग कितना भी पढ़ी-लिखी जाए अपने बिटियन के आगे अनपढ़े ही रहिए, हर जुग मा।”
 दोनों माँ ही अपनी अगली पीढ़ी से सिखती-सिखाती उसके पीछे-पीछे चलने लगीं।
--००--

सविता मिश्रा अक्षजा
आगरा
2012.savita.mishra@gmail.com

२३/९/२०१९ को लिखी 

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