त्यौहार तो अब हम क्या कैसे मनाये
सब दिन तो सूखी नमक रोटी खाये|
फिर किसी तरह त्यौहार के खातिर पैसा जुटाये
थैला ले जरा बाजार हो अपना थैला भर आये|
सोचे इतने में सब कुछ खरीद होगें खुशहाल
घर वालों के ख़ुशी से होगें सुर्ख गाल लाल |
दाम पूछते ही सामानों के हम बैठे मन मार
भारी-भरकम दाम अंटी पैसे थे बस चार |
घूमते ही रहे धन मुताबिक ना मिला माल
तब समझे इस मंहगाई में हम तो हैं कंगाल|
बस एक-दो समान मूर्ति सहित घर ले आये
पूजा पर बैठ प्रभु को अपना दुखड़ा सुनाये|
वह बोले इतने में हम क्या दे तुमको मूरख
तुम तो अच्छे हो जो नहीं पा रहे हो दुःख|
उनसे पूछो जो इस मंहगाई में भूखो रहते
त्यौहार को छोड़ो रोटी को भी हैं तरसते|
दो जून की जो भी सूखी-रुखी पाते हो
उसी में खुश रहो त्यौहार क्यों मनाते हो|...सविता मिश्रा
सब दिन तो सूखी नमक रोटी खाये|
फिर किसी तरह त्यौहार के खातिर पैसा जुटाये
थैला ले जरा बाजार हो अपना थैला भर आये|
सोचे इतने में सब कुछ खरीद होगें खुशहाल
घर वालों के ख़ुशी से होगें सुर्ख गाल लाल |
दाम पूछते ही सामानों के हम बैठे मन मार
भारी-भरकम दाम अंटी पैसे थे बस चार |
घूमते ही रहे धन मुताबिक ना मिला माल
तब समझे इस मंहगाई में हम तो हैं कंगाल|
बस एक-दो समान मूर्ति सहित घर ले आये
पूजा पर बैठ प्रभु को अपना दुखड़ा सुनाये|
वह बोले इतने में हम क्या दे तुमको मूरख
तुम तो अच्छे हो जो नहीं पा रहे हो दुःख|
उनसे पूछो जो इस मंहगाई में भूखो रहते
त्यौहार को छोड़ो रोटी को भी हैं तरसते|
दो जून की जो भी सूखी-रुखी पाते हो
उसी में खुश रहो त्यौहार क्यों मनाते हो|...सविता मिश्रा
2 comments:
बहुत सुन्दर ............
bahut bahut abhar aapka
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