Sunday 16 December 2012

बस यूँ ही




कंटीली वादियों में फूल ढूढ़ रहे थे 

 नामुमकिन था मुमकिन कर रहे थे |

 सविता मिश्रा
दम्भ
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कांटे को फूल समझने की
भूल ना कीजिय ,
चूहे है आप अदना
शेर का दंभ ना भरा कीजिये| सविता मिश्रा

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