Sunday 22 May 2022

मेरी दृष्टि में -- रोशनी के अंकुर ( लघुकथा संग्रह )

"अक्षजा की कथाओ मे परिपक्ता व धार है संवेदना व पीड़ा की स्याही है कम शब्दों मे गहरी चोट करने की सृजनकला है कलम में। "
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बहिन अक्षजा की कहानियां संक्षिप्त शब्दों मे गहरी बात व्यंग्य , वेदना चित्रण करती है जो कहानी संग्रह को एक अलग पहचान देती है । " रोशनी के अंकुर " सविता मिश्रा आगरा का लघु कहानी संग्रह है जो निखिल पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर शाहगंज यु.पी. से प्रकाशित है जिसकी कीमत 300 रुपये है और अमेजन व फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है । सुन्दर कवरपेज व प्रिंटिंग है जिसमे 101 लघु कथाये है ।
अक्षजा की कहानीयां " माँ अनपढ़ , मात से शह , सम्पन्न दुनिया , पेट दर्द ,इज्ज़त , आहट , मौकापरस्त , खुलती गिरहें ,ढाढ़स , ठंडा लहू , आत्मग्लानि, पेट की मजबूरी ,भूख ,सुरक्षा घेरा ,पाठशाला , रीढ़ की हड्डी , बेटी ,दंश , दूसरा कन्धा ,हस्ताक्षर ,बाजी,परछाई ,बहुत अच्छे व मार्मिक तरीकें से लिखी हुई कहानियां है इन कहानियों मे पीड़ा , व समसाम्यिक विषयों , रिश्तों , संवेदनाओ पर गंभीर व्यंग्य करती हृदय स्पर्शी लधु कथाये है । भावो व शब्दों व व लय व शिल्प का सुन्दर सामजस्य है अभिव्यक्ति का प्रवाह धारा प्रवाह है जो पाठक की एकाग्रता को टुटने नही देता ना ही उसे भटकने देता है ।नारी की पीड़ा पिता व बेटी के संवेदनशील संबंधों को तारतार करती घटनाओं का दर्दनाक चित्रण व नारी पर हो रहे शारीरक अत्याचार पर सिर्फ मोमबत्तियां जलाता मानव का व्यंग्य गात्मक चित्रण किया जो आदमी को हृदय को झंकझोरती कहानियां है तो कही श्रमिक का शोसन ,
तो कही गरीब की रोटी तो आज के युग मे सबकुछ है पर इंसान नही है इस प्रकार की पंक्तियां कहानियों की गंभीरता व लेखनी की परिपक्ता दर्शाती है कहानियों मे लय ओर निरंतरता है भाषा सरल व आमआदमी को समझ आने वाली है शब्द कम परंतु गहरे अर्थ लिए हुए है व्यंग्य भी मार्मिक तरीके से अंकित है जो आदमी के मस्तिष्क मे घर कर जाते है भाषा क्लिष्ट नही है जिससे आमपाठक भी पठकर इसमे खो सकता है ऊबता नही है । इन्हें पठने के बाद हम कह सकते है अक्षजा की कलम मे परिपक्ता व धार है संवेदना व पीड़ा की स्याही है कम शब्दों मे गहरी चोट करने की सृजनकला कथाकार मे है जो कहानियों को श्रेष्ठ पायदान पर खडी करती है ओर संग्रह को एक पठनीय व हृदय स्पर्शीय बनाती है इनका पहला लधु कथा संग्रह है जिसके लिए
बधाई
व लेखनी देखते हुए हम कह सकते है भविष्य में और अच्छे लेखन की संभावनाएं है जिसके लिए बहिन अक्षजा को शुभकामनाएं ।
इनकी कुछ कहानियां व उनकी हृदय स्पर्श करती उनकी पंक्तियां जैस --" मात से शह " -- न शक्ल, न ही सुरत ! कौन शादी करेगा ? भाभी के ननद को कथन । रचना " सम्पन्न दुनिया -- बेटा! सब कुछ हैं किंतु यहां इंसान नहीं है -- !" आज के लेखकों पर व्यंग " पेट दर्द " -- जैसे ही आपकी किताब आने की संभावना बनेगी , यकीनन उसी वक्त से आपका पेट दर्द में आराम मिलने लगेगा । रचना " मौकापरस्त -- चुप करो ! राजनीति नहीं समझते क्या ? आग न्युज वालो ने लगाई । फूंक मारकर हम उसे प्रज्वलित करते रहेगे । आज की राजनीति व मीडिया पर करारा व्यंग्य है "वर्दी -- पापा! मुझे भी काँटो भरा रास्ता स्वयं से ही तय करने दीजिए न । वही रचना "ढाढ़स "-- अम्मा, दाल रोटी तो बस हम गरीबों का भोजन हैं । अमीर तो शाही-- पनीर , पनीर टिक्का , लच्छेदार पराठा आदि खाते है । रचना ठंडा लहू -- हाँ साहब , हुआ तो है । बाल भी सफेद हो गये , बस लहू ही सफेद नही हुआ । रचना "आत्मग्लानि -- आजकल सिद्धांतों की रस्सी पर बिना डगमगाए चलना बहुत मुश्किल है । " पेट की मजबूरी -- हाँ बेटा, आजादी के लिए लडने से पहले समझना चाहिए था हमें कि हमारी ऐसी कद्र होगी । एक स्वतंत्रता सेनानी की पीड़ा ! रचना " सुरक्षा घेरा -- वह बदहवास - सी उस असुरक्षित दुनिया से उल्टे पाँव अपने सुरक्षा घेरे मे लोट आई । इस रचना मे देह व्यापार की मजबूर नारी की पीड़ा ओर सभ्य समाज
की मानसिकता पर गहरा तमाचा कम शब्दों मे । रचना " पाठशाला " -- पाठशाला मे न तो गया , पर जीवन की पाठशाला बखूबी पढ़ी है । रचना " दंश" -- लेकिन किया क्या सबने ! सिवाय मोमबत्तियां जलाने के ? रचना दुसरा कन्धा -- सुनती हो , एक अकेला कन्धा गृहस्थी का बोझ नहीं उठा पा रहा। दुसरा कन्धा --? शायद आसानी हो फिर । रचना "हस्ताक्षर -- अब आपको तलाकनामे पर शिखा के हस्ताक्षर की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी न हम वकीलो की ही । भगवान ने खुद ही हस्ताक्षर कर दिया । रचना " बाजी -- सही कह रहे हो आप सब । वैसे हम सब एक ही तालाब के मगरमच्छ है । रचना " राक्षस --.भैया ! यह रहा वह राक्षस ।
लधुकथा वही सही मायने मे कथा है जिसमें कथाकार कम शब्दों मे पूरी बात कह दे और अक्षजा की कहानियों में यह पूर्णता व परिपक्वता है गागर मे सागर भरती कथाएँ व संदेश देता संग्रह है । जो नये लधुकथाकार को अवश्य पढ़ना चाहिए । कम शब्दों में पूरी बात की कला अक्षजा की कहानियों से सीखनी चाहिए ।
पुनः एक बार अच्छे सृजन के लिए
बधाई
व शुभकामनाएं ।
👏 श्रीगोपाल व्यास एडवोकेट फलोदी ( जोधपुर ) राज .

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